बिहारी शब्द को गाली बनाकर खुद मसीहा कैसे बन गए लालू यादव
सोचिये! बिहार का नाम आते ही अन्य राज्यों के लोग तुरन्त यह अनुमान क्यों लगा लेते हैं की आज भी बिहार में देहाती भाषा में ही बात की जाती है? क्यों ऐसा लोग सोचते हैं की बिहार सिर्फ या तो मजदूर पैदा कर सकता है या फिर सिर्फ बात बेबात ही सर फोड़ देने वाला जाहिल! तो इन सब चीजों को समझने के लिए चलना होगा 90 के वो दशक में जब बिहार के राजनीति के तौर-तरीकों को कॉलर पकड़ कर उसे बाहर खींच कर फेंक देने वाला सख़्श राजनीति में आया था! पूरे बिहार के सिस्टम को तहश-नहश कर खुद का सिस्टम बना लेने वाला सख़्श राजनीति में आया था! पूरे बिहार में जाति के नाम पर एक तबके को दूसरे तबके का सर फोड़ने की ज्ञान देने वाला सख़्श राजनीति में आया था। लालू यादव को सामाजिक न्याय का पुरोधा कहा जाता है। माना जाता है कि गरीबों, शोषितों, पिछड़ों को लालू यादव ने अपने शासनकाल में आवाज दी और समाज में एक नई पहचान दी।
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