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#संविधानसंशोधन #Part20 #article368
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प्रिय साथियों,
भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था के अंतर्गत आज आज के लेक्चर में भारतीय संविधान के भाग 20 के अनुच्छेद 368 जो कि संविधान संशोधन से संबंधित है, की व्याख्या की गई है ।
भारत में संविधान संशोधन की शक्ति संसद को दी गई है राज्य विधान मंडलों को संविधान संशोधन का अधिकार नहीं है। संसद प्रस्तावना तथा मूल अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है किंतु संविधान के आधारभूत ढांचे में संशोधन नहीं कर सकती है ।
संविधान संशोधन के लिए तीन प्रकार की प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है यथा
साधारण बहुमत द्वारा संशोधन इसके तहत संघ में नए राज्यों का प्रवेश,
नए राज्यों का निर्माण या वर्तमान राज्यों के क्षेत्र नाम या सीमा में परिवर्तन,
नागरिकता से संबंधित प्रावधान राज्यों में विधान परिषद का सृजन या समापन,
संघ राज्य क्षेत्रों के लिए विधानमंडल या मंत्रिपरिषद का सृजन,
राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति न्यायाधीशों आदि के वेतन एवं भत्ते,
प्रथम, पांचवी, आठवीं अनुसूची आदि में संशोधन किया जाता है
संघात्मक ढांचे से संबंधित प्रावधानों में संशोधन विशेष बहुमत और राज्यों के अनुसमर्थन द्वारा किया जाता है इनके तहत अनुच्छेद 54
अनुच्छेद 55
अनुच्छेद 73
अनुच्छेद 162
अनुच्छेद 241
भाग 5 अध्याय 4
भाग 6 अध्याय 5
भाग 11 अध्याय 1
सातवीं अनुसूची ,चौथी अनुसूची और स्वयं अनुच्छेद 368 में संशोधन संविधान संशोधन
सर्वप्रथम संविधान संशोधन विधेयक संसद में प्रस्तुत किया जाता है यह विधेयक संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है ।संविधान संशोधन विधेयक को संसद में प्रस्तुत करने हेतु राष्ट्रपति की पूर्व सहमति आवश्यक नहीं है । विधेयक को संसद के प्रत्येक सदन द्वारा यथास्थिति साधारण या विशेष बहुमत द्वारा पारित कर दिए जाने पर राष्ट्रपति की सहमति हेतु भेजा जाता है । राष्ट्रपति संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी सहमति देने के लिए बाध्य होता है। संविधान संशोधन विधेयक पर संसद के दोनों सदनों में मतभेद की स्थिति में उनका संयुक्त अधिवेशन नहीं बुलाया जाता है । लोकसभा द्वारा पारित किसी संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा यदि अस्वीकार कर देती है तो वह विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाता है।