कभी सोचा नहीं था कि इंजरिंग कॉलेज के दौरान जिस जगह पर अक्सर हम लोग टहलने के लिए आ जाया करते थे आज वहां कोरोना ( Corona ) का महाश्मशान दिखाई पड़ेगा। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसे इंजरिंग कॉलेज में पढ़ने का मौका मिला जहां सिर्फ क्लास रूम से ही नहीं बल्कि हॉस्टल की खिड़की से भी हर समय गंगा का विस्तार दिखाई पड़ता था। 1905 में अंग्रेजों द्वारा बनवाया गए लार्ड कर्जन ब्रिज से कुछ दूरी पर नवनिर्मित गंगा रेल सेतु के ठीक नीचे स्थित है प्रयागराज ( Prayagraj ) का महाश्मशान। श्मशान बनने से पहले इसी जगह तरबूज, कद्दू, खीरा ककड़ी व अन्य मौसमी फल एवं सब्जियों की खेती की जाती थी। आज दूर-दूर तक लकड़ी के बने हुए टाले किसी मृत शरीर की प्रतीक्षा में उबासी ले रहे हैं।
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